आज मैं आपसे मानव के एक स्वाभाव "गुस्से" के बारे में संभाषण करूँगा -
अक्सर सुनते है "गुस्सा एक कमजोरी है" लेकिन सच्चाई सुनिए "दुनिया में आजतक कहीं पर भी कोई बदलाव आया है, तभी आया है जब किसी को गुस्सा चढा है | "
इतिहास में इस के बारे में एक रोचक बात है -
जब अंग्रेजों ने गांधीजी को ट्रेन के कंपार्टमेंट से उठाकर बहार फेंक दिया | गांधीजी को बहुत बुरा लगा, गुस्सा आया, उन्होंने कहा,"तुमने मुझे इस कंपार्टमेंट से बहार फेंका है, मैं तुम्हें इस देश से उठाकर बहार फ़ेंक दूंगा |" क्या किया उन्होंने, उस गुस्से को एक संकल्प में बदल दिया और उनकी सबसे बड़ी कमजोरी (गुस्सा),उनकी सबसे बड़ी ताकत बन गयी |
इस के बारे में एक और उदाहरण है मुंबई पर २६/११ को हुए आतंकवादी हमलों का -
२६ नवम्बर २००८ को कुछ पाकिस्तानी मुल्क के आतंकियों ने पूरी मुंबई को मानो २-३ दिन के लिए कब्जे में कर लिया हो | इस घटना से ना सिर्फ मुंबई बल्कि पूरा देश एकत्रित हुआ और भारत सरकार पर दबाव बनाया | पूरा देश इस घटना की निंदा करने लगा | नतीजा - भारत सरकार ने पाकिस्तानी सरकार पर आतंकियों के विरोध में कार्यवाही करने की धमकी दी और पकिस्तान इस पर कुछ तो कर ही रहा है | मैं ये नहीं कह रहा हूँ की यह सब सिर्फ गुस्से के वजह से हुआ पर गुस्से का उसमें अहम योगदान था | तो -
गुस्सा मानव के सबसे बड़ी ताकत है ,
अगर उसे सकारात्मक तरीके से लिया तो |
ऊपर लिखे विचार श्री.शिव खेड़ा (लेखक - जीत आपकी ) के है, सिर्फ मैंने उसमें २६/११ के हमलों का उदाहरण जोड़ा है
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