Nostalgia – Ode to college life and friends (HINDI)
राह देखी थी इस दिन की कबसे
आगे के सपने सजा रखे थे ना जाने कब से
बड़े उतावले थे जाने को
ज़िन्दगी का अगला पड़ाव पाने को
पर ना जाने क्यों दिल में आज कुछ और आता है
वक़्त को रोकने का जी चाहता है
जिन बातों को लेकर रोते थे
आज उन पर हंसी आती है
न जाने क्यों आज उन पलों की याद बहुत सताती है
कहा करता था ..बड़ी मुश्किल से चार साल सह गया
पर आज न जाने क्यों लगता है की कुछ पीछे रह गया
कही अनकही हज़ारों बातें रह गयी
न भूलने वाली कुछ यादें रह गयी
मेरी टांग अब कौन खींचा करेगा
सिर्फ मेरा सर खाने कौन मेरा पीछा करेगा
जहां दो हज़ार का हिसाब नहीं वहाँ दो-दो रूपए के लिए कौन लडेगा
कौन रात भर साथ जाग कर पढ़ेगा
कौन मेरा लंच मुझसे पूछे बिना खायेगा
कौन मेरे नए नए नाम बनाएगा
में अब बिना मतलब किस से लडूंगा
बिना टॉपिक के किससे फालतू में बकवास करूंगा
कौन फेल होने पर दिलासा दिलाएगा
कौन गलती से नंबर आने पर गालियाँ सुनाएगा
Greenwood में Slice किस के साथ पियूंगा
वो हसीं पल अब किसके साथ जियूँगा
ऐसे दोस्त कहाँ मिलेंगे जो खाई में भी धक्का दे आयें
पर फिर तुम्हें बचाने खुद भी कूद जायें
मेरी ग़ज़लों से परेशान कौन होगा
कभी मुझे किसी लड़की से बात करते देख हैरान कौन होगा
कौन कहेगा चद्द्या तेरे जोक़ पे हंसी नहीं आती
कौन पीछे से बुला के कहेगा ..आगे देख भाई
कैरम में किसके साथ खेलूंगा
किस के साथ बोरिंग lectures झेलूँगा
Professors के PJ पर राक्षस की तरह कौन हंसेगा
“पुगाई में हारने वाले की Treat”..इस चक्कर में अब कौन फंसेगा
मेरे Certificates ko रद्दी कहने की हिम्मत कौन करेगा
बिना डरे सच्ची राय देने की हिम्मत कौन करेगा
Stage पर अब किस के साथ जाऊँगा
Juniors को फालतू के Lectures कैसे सुनाउंगा
अचानक बिन मतलब के किसी को भी देख कर पागलों की तरह हँसना
न जाने ये फिर कब होगा
कह दो दोस्तों, ये दुबारा सब होगा
दोस्तों के लिए Professor से कब लड़ पाएंगे
क्या ये दिन फिर से आ पाएंगे
रात को दो बजे परांठे खाने कौन जायेगा
तीन गिलास लस्सी पीने की शर्त कौन लगाएगा
कौन मुझे मेरे काबिलियत पर भरोसा दिलाएगा
और ज्यादा उड़ने पर ज़मीन पे लायेगा
मेरी ख़ुशी में सच में खुश कौन होगा
मेरे ग़म में मुझसे ज्यादा दुखी कौन होगा
मेरी ये कविता कौन पड़ेगा
कौन इसे सच में समझेगा
बहुत कुछ लिखना अभी बाकी है
कुछ साथ शायद बाकी है
बस एक बात से डर लगता है दोस्तों
हम अजनबी न बन जायें दोस्तों
ज़िन्दगी के रंगों में दोस्ती का रंग फीका न पड़ जाये
कहीं ऐसा न हो दुसरे रिश्तों की भीड़ में दोस्ती दम तोड़ जाए
ज़िन्दगी में मिलने की फ़रियाद करते रहना
अगर न मिल सकें तो कम से कम याद करते रहना
चाहे जितना हंसलो आज मुझ पर
में बुरा नहीं मानूंगा
इस हंसी को अपने दिल में बसा लूँगा
और जब याद आएगी तुम्हारी
यही हंसी लेकर थोडा मुस्कुरा लूँगा
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1 comment:
nice :))
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